विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ में अब लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बँटवारा शुरू हो चुका है.
कांग्रेस को असल परेशानी उत्तर प्रदेश में पेश आ रही है, जहाँ समाजवादी पार्टी के नेता ज़्यादा से ज़्यादा सीटें मांग रहे हैं. वहीं, बिहार के नेता सिर्फ़ जीतने वाली सीटों पर ही दांव लगाना चाहते हैं.
द टेलीग्राफ़ की ख़बर के अनुसार, बिहार के कांग्रेस नेताओं ने लोकसभा चुनाव में सीट बंँटवारे के लिए सर्वसम्मति से कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की बातें स्वीकार कर ली हैं.
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को लेकर स्थानीय कांग्रेस नेताओं का जो रुख़ है, वो बिहार के कांग्रेस नेताओं में जदयू या राजद के लिए देखने को नहीं मिला.
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस नेता समाजवादी पार्टी के नेताओं को अपना लीडर मानने में आनाकानी कर रहे हैं. 2024 के चुनाव की तैयारी के लिए बिहार के कांग्रेस नेताओं की बैठक पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के साथ हुई
इसमें बिहार के नेताओं ने राजद, जदयू और वामपंथी दलों के साथ गठबंधन को लेकर कोई विरोधी स्वर नहीं उठाया. स्थानीय नेताओं ने टिकट बँटवारे पर भी कड़ा रुख नहीं दिखाया और ‘गठबंधन धर्म’ और ज़मीनी हक़ीक़त स्वीकार करने पर ज़ोर दिया.
बिहार के नेताओं ने सुझाव दिया कि अधिक से अधिक सीटें हासिल करने की जगह पार्टी उन उम्मीदवारों पर ज़्यादा ध्यान दे जो चुनाव जीत सकें।
दरअसल, बिहार में कांग्रेस की बहुत ज़्यादा डिमांड करने की हालत में नहीं है लेकिन अन्य राज्यों में ऐसा नहीं है.
पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश के स्थानीय नेताओं ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से मुलाक़ात की थी, जिसमें ये स्वर था कि सपा के साथ बातचीत ‘बराबरी’ पर हो क्योंकि समाजवारी पार्टी भी बिना कांग्रेस की सहायता से लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकती है.
वहीं, इस बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की पार्टी बसपा को शामिल करने की भी बात कई कांग्रेस नेता कर रहे थे.
वो इस बात के हिमायती नज़र आए कि गठबंधन में मायावती की मौजूदगी से दलित वोट हासिल करने में मदद मिलेगी. नेताओं ने सपा, बसपा और कांग्रेस के एक साथ आने पर जोर दिया.
द टेलीग्राफ़ से बातचीत में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ” ये धारणा कि पिछले विधानसभा चुनाव में सिर्फ़ हमें दो फ़ीसदी वोट मिले थे इसलिए हम कमज़ोर हैं, ये ग़लत है. हम इससे काफ़ी उबर चुके हैं और मुसलमानों ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ देने का निर्णय ले लिया है. अगर सपा हमें 5-10 सीटें देने का सोच रही है तो कोई गठबंधन नहीं होगा. हमें गंभीरता से विकल्प के लिए बसपा पर विचार करना चाहिए.”