एमपी के पूर्व पीएम और कांग्रेस नेता कमलनाथ अपने बेटे नकुलनाथ के साथ दोपहर को दिल्ली पहुंचे और वो लोग तमाम भाजपा नेताओं से मिल रहे हैं। भाजपा में शामिल किए जाने की बस अब घोषणा भर बाकी है। नकुलनाथ ने सोशल मीडिया पर अपने बायो से कांग्रेस हटा दिया है। दोनों के बारे में काफी दिनों से चर्चा थी कि वे भाजपा में जाएंगे। हालांकि एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि कमलनाथ कांग्रेस के पुराने सिपाही हैं और वे ऐसा नहीं करेंगे।
आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक़ सियासी गलियारों में चर्चा है कि कमलनाथ अपने बेटे नकुल और मध्य प्रदेश के करीब एक दर्जन विधायक व पूर्व विधायकों के साथ बीजेपी का दामन थामेंगे. उधर, इन अटकलों के बीच कांग्रेस नेतृत्व ने कमलनाथ से किसी तरह का संपर्क नहीं साधा है. यानी पार्टी की तरफ से कमलनाथ को रोकने के लिए किसी तरह का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है.
इस कड़ी में कमलनाथ और नकुलनाथ दिल्ली पहुंच चुके हैं. वहीं कमलनाथ के दिल्ली स्थित आवास की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है. चर्चाएं तेज हैं कि कमलनाथ के बीजेपी में शामिल होने की पटकथा लिखी जा चुकी है. बस इसे अमलीजामा पहनाना बाकी है. ऐसे में सवाल भी उठ रहे हैं कि ऐसा क्या हुआ कि इंदिरा गांधी ने जिसे अपना तीसरा बेटा बताया था, वो कमलनाथ अचानक बीजेपी में क्यों जाने वाले हैं?
इसके पीछे सबसे बड़ा कारण राज्यसभा की चाहत बताई जा रही है, जिसे कांग्रेस ने पूरा नहीं किया और कमलनाथ का नाम राज्यसभा के लिए प्रस्तावित नहीं किया. सूत्रों की मानें तो इसी के चलते कमलनाथ पार्टी से नाराज हो गए और पार्टी छोड़ने जैसा बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं. वहीं एक और कारण ये भी बताया जा रहा है कि कमलनाथ अपने बेटे नकुल के लिए राजनीतिक भविष्य की तलाश के चलते भी बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. कारण, पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में नकुल कड़ी मशक्कत के साथ जीत दर्ज कर सके. ऐसे में कमलनाथ चाहते हैं कि उनके बेटे को बीजेपी में बड़ी जिम्मेदारी मिले
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि मुख्यमंत्री के रूप में सिंधिया की जगह कमलनाथ को चुना गया था, लेकिन वह सरकार संभाल नहीं सके और उनकी जिद के चलते विधायक टूटकर बीजेपी में चले गए. परिणामस्वरूप सरकार गिर गई और शिवराज सिंह ने सरकार बनाई. इसके बाद उन्हें पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में दोबारा मौका दिया गया. उनके चेहरे पर चुनाव लड़ा गया. लेकिन पार्टी को नुकसान ही उठाना पड़ा और करारी हार मिली