Roznama Khabrein
No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
اردو
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home विचार

राष्ट्रीय ध्वज पर फैलाए जा रहे दुष्प्रचार और तथ्य  

RK News by RK News
August 9, 2022
Reading Time: 1 min read
0
राष्ट्रीय ध्वज पर फैलाए जा रहे दुष्प्रचार और तथ्य  

सोशल मीडिया पर, राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के संदर्भ में, एक पोस्ट लगातार शेयर की जा रही है, जिसमे यह बताया जा रहा है कि, आखिर 52 साल तक आरएसएस ने, अपने मुख्यालय और अन्य दफ्तरों पर, तिरंगा क्यों नहीं फहराया गया। उक्त लेख, मूलरूप से किसने लिखा है और ओरिजिनेट कहां से हुआ है इस पड़ताल में न जाते हुए मैं, उस लेख में दिए गए, प्रासंगिक अंशों को, ऐतिहासिक तथ्यों के आलोक में, आप के समक्ष रख रहा हूं।

RELATED POSTS

अहमदाबाद: एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो कर, दो टुकड़ों में टूटा,242 यात्रियों में53 ब्रिटिश,

Waqf पर सुनवाई:केंद्र ने कहा- वक्फ अधिनियम के प्रमुख प्रावधान जारी रहेंगे, सुप्रीम कोर्ट  अब 20 मई को मामले की सुनवाई करेगा

गजा और शान्ति:अमेरिका की दोहरी नीति, दोहरा चरित्र

जब घर घर तिरंगा अभियान शुरू हुआ और आरएसएस द्वारा तिरंगा न फहराने के की बात सोशल मीडिया में आने लगीं तो लोगों का ध्यान, आरएसएस का राष्ट्रीय ध्वज के प्रति क्या दृष्टिकोण है, के बारे में जिज्ञासा हुई और, इस बारे में लगातार पूछताछ भी होने लगी। तभी यह पोस्ट सोशल मीडिया में वायरल हो गई। इसे जब मैंने पढ़ा तो लगा कि, आरएसएस/बीजेपी के मित्रों ने, उस पोस्ट को शायद पूरी तरह पढ़ा नहीं है और पढ़ा भी तो, उसे समझे बिना, वे शेयर करने लगे हैं। मैं, उस पोस्ट पर अपनी निम्न टिप्पणी दे रहा हूं।

पोस्ट शुरू होती है, इन शब्दों से,

“भारत के ७५ वे स्वतंत्रता दिवस पर एक बात आपसे शेयर करनी है:-

क्या आप जानते हैं कि RSS ने 52 साल तक भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा नही फहराया ?”

फिर इस प्रश्न का उत्तर वे, इस प्रकार देते हैं,

“जी हां ये सच है और ये सिर्फ मैं नही कह रहा बल्कि जनवरी 2017 में राहुल गांधी ने भी कही थी, ये एकदम सच है कि 1950 से ले कर 2002 तक RSS ने तिरंगा नही फहराया।”

यहां वे यह तथ्य स्वीकार कर लेते हैं कि, इन्होंने 2002 तक तिरंगा नहीं फहराया। अब वे इसका कारण बताते हैं, जिसे आप उन्हीं के शब्दों में पढ़े,

“तो क्या है इस तिरंगे के ना फहराने का सच आइये जानते हैं :

तो ऐसा किया हुआ कि 1950 के बाद RSS ने तिरंगा फहराना बंद कर दिया? आज़ादी के बाद संघ की शक्ति लगातार बढ़ती जा रही थी और संघ ने राष्ट्रीय पर्व जैसे 15 अगस्त और 26 जनवरी जोर शोर से मनाने शुरू कर दिए थे, जनता ने भी इसमे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना शुरू कर दिया, इस से नेहरू को अपनी कुर्सी डोलती नज़र आया और बड़ी ही चालाकी से उन्होंने भारत के संविधान में एक अध्याय जुड़वा दिया। National Flag Code, नेशनल फ्लैग कोड को संविधान की अन्य धाराओं के साथ 1950 में लागू कर दिया गया।”

इनके अनुसार, नेहरू ने ही नेशनल फ्लैग कोड पास कराया, और वह भी इसलिए कि, आरएसएस, 1950 में ही नेहरू के लिए खतरा बन गया था!

अब, उपरोक्त अंशों पर, कुछ ऐतिहासिक तथ्य पढ़िए।

30 जनवरी, 1948 को गांधी जी की हत्या होती है। नाथूराम गोडसे उनका हत्यारा था, जिसके संबंध आरएसएस से पहले रह चुके थे, पर तब वह हिंदू महासभा में था और सावरकर के साथ था। आरएसएस ने, हालांकि नाथूराम गोडसे से अपनी दूरी बना ली थी। फंस जाओ तो भूल जाओ, इस संगठन की पुरानी आदत है। पहले यह किसी को चुन कर चढ़ाते हैं और जब फंसने लगते हैं तो पल्ला झाड़ कर किनारे हट जाते हैं। ताजा उदाहरण नूपुर शर्मा और श्रीकांत त्यागी का है। दोनो के ही फोटो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अन्य महत्वपूर्ण नेताओं के साथ हैं, पर आज दोनो ही फ्रिंज एलीमेंट बन गए हैं।

यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि, महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस ने जश्न मनाया था, जिसकी विपरीत और हिंसक प्रतिक्रिया भी हुई थी। हत्या के बाद, सरकार ने आरएसएस पर, प्रतिबंध लगा दिया और तत्कालीन सरसंघचालक एमएस गोलवलकर को जेल भेज दिया गया। 18 महीने तक संघ पर प्रतिबंध लगा रहा। 11 जुलाई, 1949 को, यह प्रतिबंध तब हटा, जब देश के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की शर्तें तत्कालीन संघ प्रमुख माधवराव सदाशिव गोलवलकर ने मान लीं।

इन शर्तों के साथ प्रतिबंध हटाया गया कि,

1. संघ अपना संविधान बनाए और उसे प्रकाशित करे, जिसमें लोकतांत्रिक ढंग से चुनाव होंगे।

2. वह राजनीतिक गतिविधियों से पूरी तरह से दूर रहेगा और सांस्कृतिक गतिविधियों में ही लिप्त रहेगा।

3. संघ हिंसा और गोपनीयता का त्याग करे।

4. भारत के ध्वज और संविधान के प्रति वफादार रहने की शपथ ले और

5. लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास रखे।

गरु गोलवलकर और सरदार पटेल के बीच जो पत्राचार है, उसे पढ़िए उसमें यह सब स्पष्ट है। गांधी हत्या के बाद, आरएसएस उस समय राजनीतिक रूप से अलग थलग पड़ गया था। गोलवलकर के राष्ट्रीय ध्वज और संविधान को लेकर क्या विचार थे, यह किसी से छुपा नहीं है। इस पर किताबें भी हैं और इंटरनेट पर बहुत सी सामग्री उपलब्ध हैं। यह सब दस्तावजों में दर्ज है। तिरंगा को आरएसएस ने कभी भी स्वीकार नहीं किया और अब जब वे यह कह रहे हैं कि, नेहरू ने, आरएसएस के तिरंगा प्रेम के कारण नेशनल फ्लैग कोड पास कराया तो, यह, न केवल झूठ है बल्कि यह हास्यास्पद भी है।

अब वे आगे कहते हैं,और इसी के साथ तिरंगा फहराना अपराध की श्रेणी में आ गया, इस कानून के लागू होने के बाद तिरंगा सिर्फ सरकारी इमारतों पर कुछ खास लोगों द्वारा ही फहराया जा सकता था और यदि कोई व्यक्ति इसका उल्लंघन करता तो उसे सश्रम कारावास की सज़ा का प्रावधान था।

यह बात सही है कि, फ्लैग कोड का उल्लंघन और राष्ट्रीय ध्वज का निरादर, एक दंडनीय अपराध है पर यह भी झूठ है कि, तिरंगा केवल सरकारी इमारतों पर ही कुछ लोगो द्वारा फहराया जाता था। आरएसएस के मुख्यालय पर तिरंगा न फहराने का बचाव, इस प्रकार किया गया है,

“यानि कानूनन अब तिरंगा संघ की शाखाओं में नही फहराया जा सकता था क्योंकि वे प्राइवेट जगह थी ना कि सरकारी इमारत, संघ ने कानून का पालन किया और तिरंगा फहराना बंद कर दिया।”

यह बात भी सच नहीं है। तिरंगा, सरकारी इमारतों पर तो फहराया ही जाता था, साथ ही, निजी स्कूलों, संस्थान, फैक्ट्रियों, संस्थाओं और विभिन्न रेजिडेंशियल या व्यापारिक प्रतिष्ठानों द्वारा भी स्वाधीनता और गणतंत्र दिवस पर धूमधाम से फहराया जाता था और आज भी फहराया जाता है। कागज़ के झंडे पर तिरंगा लेकर प्रभात फेरियां निकलती थीं। अपने स्कूली जीवन में खुद हमने ऐसी प्रभात फेरियों में, भाग लिया है। पूरा देश, 15 अगस्त को, आजाद होने और 26 जनवरी को, गणतंत्र की स्थापना का जश्न मनाता था और यह क्रम आज भी, समारोहपूर्वक जारी है। अतः आरएसएस का यह तर्क कि, वे एक निजी इमारत में होने के कारण तिरंगा नहीं फहरा पाते थे। हास्यास्पद है और झूठ तो है ही।

अब वे इसका भी इल्जाम नेहरू के सर मढ़ते हैं, और आगे कहते हैं,”यह कानून नेहरू के डर के कारण बनाया गया था, वरना इसका कोई औचित्य नही था क्योंकि आज़ादी की लड़ाई में तो हर आम आदमी तिरंगा हाँथ में ले कर सड़को पर होता था, पर अचानक उसी आम आदमी और समस्त भारत की जनता से उनके देश के झंडे को फहराने का अधिकार छीन लिया गया, और जिस तिरंगे के लिए लाखों लोग शहीद हो गए वह तिरंगा फहराने का अधिकार अब सिर्फ नेहरू गांधी परिवार की जागीर बन चुका था।”

नेशनल फ्लैग कोड, कानून, नेहरू के घर नहीं बल्कि संसद में बनाया गया था, और उन्ही प्रक्रियाओं के तहत बनाया गया था, जैसे देश के कानून बनाए जाते हैं। अब यह सवाल उठता है कि, यह कानून बनाया क्यों गया था। इसका उत्तर है कि आरएसएस का तिरंगे के बारे में जो, दृष्टिकोण था, इसे देखते हैं। आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ के 14 अगस्त के अंक में ‘भगवा ध्वज के पीछे रहस्य’, नामक एक लेख में, दिल्ली के लाल किले के प्राचीर पर, भगवा ध्वज के उत्थापन की मांग करते हुए खुले तौर पर राष्ट्रीय ध्वज के रूप में तिरंगे के चुनाव की निम्न शब्दों में अपमान किया गया :

“जो लोग किस्मत के दांव से सत्ता में आ गए हैं हमारे हाथ में तिरंगा दे सकते हैं, लेकिन इसको हिंदुओं द्वारा कभी अपनाया नहीं जाएगा और न ही इसका कभी हिंदुओं द्वारा सम्मान होगा । शब्द तीन अपने आप में एक बुराई है, और तीन रंगों वाले एक झंडे का निश्चित रूप से एक बहुत बुरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव होगा और यह देश के लिए हानिकारक है। “

एक साल पहले, आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक और उस संगठन के अब तक के सबसे प्रभावी विचारक, गोलवलकर ने इसे तीन रंगों वाला और अशुभ बताया था।

अब वे कह रहे है कि नेहरू ने तिरंगा फहराने का अधिकार फ्लैग कोड पास करने के बाद सबसे छीन लिया और यह तिरंगा, नेहरू गांधी परिवार की जागीर बन गया।”

इस पर कोई टिप्पणी करना मूर्खता होगी। तिरंगा देश का प्रतीक है और वह किसी परिवार, व्यक्ति या संस्थान का नहीं है। अब नेशनल फ्लैग कोड की प्रासंगिक धाराओं को देखें। 1950 के फ्लैग कोड में ध्वज के आकार प्रकार, उसके आरोहण और अवरोहण के नियम कायदे, निजी संस्थान स्कूलों में, उसे फहराने के नियम विस्तार से दिए गए है।

नेशनल फ्लैग कोड 1950 के भाग दो में विस्तार से यह सारी बातें अंकित हैं। उसमे यह भी लिखा गया है कि, कौन कौन सी बातें ध्वज के अनादर के रूप में दंडनीय मानी जाएंगी। इस कोड को बनाने और विस्तार से नियम कानून से बांधने के पीछे भी तिरंगा ध्वज विरोधियों की बयानबाजी थी। अतः यह कहना कि, नेहरू ने इस कानून के द्वारा तिरंगा फहराने का अधिकार जनता से छीन लिया झूठ और मक्कारी भरा है।

आरएसएस के समर्थन में लिखी गई पोस्ट में, आगे लिखा गया है, “कांग्रेस के सांसद, नवीन जिंदल ने अपनी फैक्ट्री ‘जिंदल विजयनगर स्टील्स’ में तिरंगा फहराया और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई व उन्हें गिरफ्तार किया गया, इसके बाद उन्होंने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और 2002 में सुप्रीम कोर्ट से ये आदेश जारी करवाया की भारत का ध्वज हर खास-ओ-आम फहरा सकता है, अपने प्राइवेट बिल्डिंग पर भी फहरा सकता है, बशर्ते वे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान न करे और तिरंगे को फ्लैग कोड के अनुसार फहराए, इसके बाद से लगातार संघ की हर शाखा में तिरंगा फहराया जा रहा है ।”

नवीन जिंदल का मामला राष्ट्रीय ध्वज के स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर ही ध्वजारोहण का नहीं था, बल्कि वे अपने प्रतिष्ठान पर हर दिन नियमित रूप से, उसी प्रकार राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार चाहते थे, जैसे भारत सरकार के प्रतिष्ठानों पर फहराया जाता है। उन्होंने अपने प्रतिष्ठान पर उसी प्रकार से रोजाना ध्वज फहराना शुरू किया भी। 1992 में नवीन जिंदल ने अपने कारखाने में पर हर दिन तिरंगा फहराना शुरू कर दिया। जबकि फ्लैग कोड 1950 के अनुसार हर दिन तिरंगा फहराने का कोई नियम, निजी संस्थान और प्रतिष्ठानों के लिए नहीं था।

नियम 15 अगस्त और 26 जनवरी के लिए ही था। राष्ट्रीय ध्वज, किसी प्रतिष्ठान का ध्वज नहीं है बल्कि राष्ट्रीय प्रतीक है, तो, उन्हें जिला प्रशासन ने ऐसा करने मना कर दिया और उन्हें ऐसा न करने के लिए कहा। तब, नवीन जिंदल, खुद और भारत के नागरिकों को अपने राष्ट्र ध्वज को निजी तौर पर फहराने के अधिकार को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक गए। सात सालों की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि, “देश के प्रत्येक नागरिक को आदर, प्रतिष्ठा एवं सम्मान के साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार है।” और इस प्रकार यह प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार बना है।

कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को आदेश दिया की वह इस विषय को गंभीरता से ले और “फ्लैेग कोड” में संशोधन भी करे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से 26 जनवरी 2002 से भारत सरकार ने फ्लैग कोड में संशोधन कर भारत के सभी नागरिकों को किसी भी दिन, राष्ट्र ध्वज को फहराने का अधिकार दिया गया, बशर्ते, इस राष्ट्र ध्वज को फहराने के क्रम में “राष्ट्र ध्वज की प्रतिष्ठा,गरिमा बरक़रार रहे और किसी भी स्थिति में इसका अपमान ना होने पाए। यह राष्ट्र का प्रतीक है और सर्वोपरि है।”

नवीन जिंदल को धन्यवाद तो दे ही दिया जाय कि उन्होंने देश के सबसे देशभक्त संगठन का दावा करने वाले संघ की आंखे खोल दीं और कानून का दिल से पालन करने वाले आरएसएस ने, इस फैसले के बाद झंडा फहराना शुरू कर दिया। अब यहीं एक सवाल यह भी उठता है कि, नवीन जिंदल तो रोज ध्वज फहराते थे और रोज ध्वज फहराना चाहते थे, तो क्या आरएसएस अपने मुख्यालय और शाखाओं में, राष्ट्रीय ध्वज अब रोजाना फहराने लगा ? लेकिन ऐसा नहीं है। वे अपना ध्वज फहराते हैं। ध्वज प्रणाम करते हैं। और उसी ध्वज का आरएसएस में सर्वोच्च स्थान प्राप्त भी है।

एक संगठन के रूप में आरएसएस को अपना ध्वज चुनने, उसके प्रति सम्मान जताने और उसे सर्वोच्च बनाए रखने का अधिकार है, पर नेशनल फ्लैग कोड 1950 की नियमावली की आड़ में यह झूठ फैलाने का अधिकार नहीं है कि, उसने ध्वज सिर्फ इसलिए नहीं फहराया क्योंकि नेहरू ने उन्हें रोक दिया था। नवीन जिंदल जैसे अदालत गए, आरएसएस भी तो अदालत ध्वज फहराने के मौलिक अधिकार के लिए जा सकता था ? क्यों नही गए ? आज जब आरएसएस, राष्ट्रीय ध्वज को लेकर आलोचनाओं के केंद्र में है तो, इस तरह के भ्रामक लेख जानबूझकर सोशल मीडिया पर वायरल किए जा रहे हैं।

 

(विजय शंकर सिंह)

ShareTweetSend
RK News

RK News

Related Posts

विचार

अहमदाबाद: एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो कर, दो टुकड़ों में टूटा,242 यात्रियों में53 ब्रिटिश,

June 12, 2025
विचार

Waqf पर सुनवाई:केंद्र ने कहा- वक्फ अधिनियम के प्रमुख प्रावधान जारी रहेंगे, सुप्रीम कोर्ट  अब 20 मई को मामले की सुनवाई करेगा

May 15, 2025
विचार

गजा और शान्ति:अमेरिका की दोहरी नीति, दोहरा चरित्र

May 12, 2025
विचार

ईस्ट इंडिया कंपनी भले खत्म हो गई, उसका डर फिर से दिखने लगा!

November 6, 2024
विचार

इस्लामोफोबिया से मुकाबला बहुत पहले शुरू हो जाना था:–राम पुनियानी

September 16, 2024
विचार

क्या के.सी. त्यागी द्वारा इजरायल को हथियारों की आपूर्ति रोकने के आह्वान के कारण उन्हें अपना पद गँवाना पड़ा?

September 5, 2024
Next Post
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया की गवर्निंग कमेटी की मीटिंग, केसी त्यागी भी शामिल

कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया की गवर्निंग कमेटी की मीटिंग, केसी त्यागी भी शामिल

बिहार में चोट का दर्द बीजेपी को 2024 में भी महसूस होगा

बिहार में चोट का दर्द बीजेपी को 2024 में भी महसूस होगा

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recommended Stories

जामिया में पांच दिवसीय ‘कोविड वेक्सिनेशन अमृत महोत्सव’ शुरू

August 2, 2022
यूपी: गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के खिलाफ ‘कानून के अनुसार’ कार्रवाई का निर्देश

यूपी: गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के खिलाफ ‘कानून के अनुसार’ कार्रवाई का निर्देश

November 18, 2022
मस्जिद विवाद का इतिहास, इतिहासकार सुशील श्रीवास्तव की नजर से

मस्जिद विवाद का इतिहास, इतिहासकार सुशील श्रीवास्तव की नजर से

December 7, 2022

Popular Stories

  • मेवात के नूह में तनाव, 3 दिन इंटरनेट सेवा बंद, 600 परFIR

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • कौन हैं जामिया मिलिया इस्लामिया के नए चांसलर डॉक्टर सैय्यदना सैफुद्दीन?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • दिल्ली में 1396 कॉलोनियां हैं अवैध, देखें इनमें आपका इलाका भी तो नहीं शामिल ?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • NCERT Recruitment 2023 में नौकरी पाने का जबरदस्त मौका, कल से शुरू होगा आवेदन, जानें तमाम डिटेल

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • पकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में महिला यूट्यूबर ज्योति गिरफ्तार, पूछताछ में किए बड़े खुलासे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • नूपुर को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- बयान के लिए टीवी पर पूरे देश से माफी मांगे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
Roznama Khabrein

The Roznama Khabrein advocates rule of law, human rights, minority rights, national interests, press freedom, and transparency on which the newspaper and newsportal has never compromised and will never compromise whatever the costs.

More... »

Recent Posts

  • नई दिल्ली:नेवी का क्लर्क विशाल  जासूसी के आरोप में गिरफ्तार, पाक महिला हैंडलर ‘प्रिया शर्मा’ को गोपनीय सैन्य जानकारी दी
  • SCO में चीन-पाक का खेल: पहलगाम की जगह बलूचिस्तान का नाम… भारत का जॉइंट स्टेटमेंट पर साइन से इनकार
  • इजराइल-ईरान और अमेरिका:12 दिन की war में किस को कितना फायदा व नुक्सान:report

Categories

  • Uncategorized
  • अन्य
  • एजुकेशन
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • विचार
  • समाचार
  • हेट क्राइम

Quick Links

  • About Us
  • Support Us
  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Grievance
  • Contact Us

© 2021 Roznama Khabrein Hindi

No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو

© 2021 Roznama Khabrein Hindi