Roznama Khabrein
No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
اردو
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home विचार

मुसलामानों का वर्तमान राजनितिक परिदृश्य; शकीलुर रहमान

RK News by RK News
February 1, 2023
Reading Time: 1 min read
0

आज मुसलामानों के वर्तमान राजनितिक सन्दर्भ में बात की जाए तो मुस्लिम समुदाय नेतृत्वविहीन है। कोई सेकुलर ताक़त उसे भरने के लिए आगे नहीं आ रही है। मुसलमानों के लिए कौन आवाज़ उठा रहा है? एक शून्य उभरा हुआ है जो कि बढ़ता ही जा रहा है। धर्मनिरपेक्ष पार्टी द्वारा चलाए जा रहे किसी भी राज्य में मुसलमान समृद्ध नहीं हुए हैं । मुसलमान भारत में एकमात्र सामाजिक समूह हैं जिन्हें अभी भी अपनी शक्ति का पता लगाना है। आश्चर्य की बात यह है कि मुसलमानों को यह महसूस करने में इतना समय लगा कि कोई भी राजनीतिक दल वास्तव में उन्हें राष्ट्रीय आबादी के विशाल हिस्से के बावजूद वास्तविक प्रतिनिधित्व और सत्ता में हिस्सेदारी नहीं देता है। यह हक़ीक़त है कि आज़ादी के बाद से भारतीय मुसलमानों का नेतृत्व लगभग पूरी तरह देश के बहुसंख्यकों विशेषकर स्वर्ण वर्गों पहले कांग्रेस और अब बीजेपी के हाथ में है। सभी पार्टियों में स्वर्णों का वैचारिक समानता है। सभी नेशनल पार्टियों के अपने अपने मुस्लिम राजनीतिक नेता हैं जो अपने दलों के प्रति वफादार हैं। ये राष्ट्रवादी मुसलमान हैं। इन्हें सरकारी मुसलमान भी कहा जाता है। भाजपा की तरह कांग्रेस के शासन काल में भी कई सरकारी मुस्सिलम राजनेता रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी वर्तमान में जर्जर स्थिति में है। वह स्थानीय और राष्ट्रीय चुनावों में काफी कमजोर रही क्योंकि वह जनता को आकर्षित करने में विफल रही। बेशक भाजपा लंबे समय से कांग्रेस पार्टी की अल्पसंख्यक राजनीति को छद्म-धर्मनिरपेक्षता और मुस्लिम तुष्टिकरण के रूप में परिभाषित करती रही है। अब कांग्रेस अपनी इस छवी को सुधारने की कोशिश में लगी है। कभी सेकुलर तो कभी उदार हिन्दूवादी के रूप में पेश करती है। अन्य वामपंथी दल भी संसद में बहुत सीमित प्रतिनिधित्व वाले कुछ राज्यों तक ही सीमित हैं। इसके अलावा मुसलमान वामपंथी दलों के इरादों और अखंडता पर सवाल उठाते हैं क्योंकि वे या तो अनजाने में या जानबूझकर दक्षिणपंथी एजेंडे में शरीक हो जाते हैं।
जुलाई 2022 को हैदराबाद में हुई अपनी दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री द्वारा भाजपा को पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने के निर्देश ने कई लोगों को चौंका दिया है। मोदी की दिलचस्पी पसमांदा मुसलमानों में है जो ओबीसी दलित और आदिवासी मुसलमानों का एक समूह है जो भारतीय मुसलमानों का लगभग 85 प्रतिशत है। पसमांदा बयानबाजी को लागू करने से शायद भाजपा को निरंतरता का एक पहलू हासिल करने में मदद मिल सकती है – मुस्लिम तुष्टिकरण में शामिल हुए बिना मुसलमानों को लुभाने के लिए। कोई इस बात को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं कर सकता कि हिंदुत्व हिंसा के शिकार ज्यादातर मुस्लिम भी पसमांदा ही हैं दूसरा तथ्य यह है कि भाजपा मुस्लिम समुदाय के भीतर विभाजनकारी नीति निभा रहा है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार प्रमुख ने कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में एक अंतरधार्मिक सांप्रदायिक सद्भाव बैठक की। सम्मेलन का आयोजन अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद द्वारा किया गया था जहाँ पैंतालीस धर्मगुरुओं ने बैठक में भाग लिया था। वे विभिन्न धर्मों के थे और देश के विभिन्न हिस्सों से आए थे। अंतर-धार्मिक बैठक देश में अंतर-धार्मिक सद्भाव बनाए रखने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार के आउटरीच कार्यक्रम का हिस्सा थी। पर्यवेक्षकों को यह भी लगता है कि पीएम मोदी मुस्लिम नेतृत्व के एक नए वर्ग का निर्माण कर रहे हैं और समुदाय का नेतृत्व उन लोगों को सौंप रहे हैं जो Yes, Prime Minister कहने के लिए तैयार हैं। यह निष्कर्ष निकाला गया है कि भाजपा सरकार नए मुस्लिम नेतृत्व का निर्माण कर रही है और इसका catchment area वे हैं जो मुस्लिम सूफी संतों के तीर्थों के संरक्षक हैं या मुस्लिम ट्रस्टों या मुस्लिम कब्रिस्तानों का प्रबंधन करते हैं। इस प्रकार के लोग सरकार द्वारा चुने जाते हैं और मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों के रूप में पहचाने जाते हैं । मुस्लिम समुदाय के प्रमुख प्रतिनिधि हजरत सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती अखिल भारतीय सूफी सज्जादा नशीन परिषद के अध्यक्ष ने कहा कट्टरपंथी संगठनों पर लगाम लगाने और उन पर प्रतिबंध लगाने के लिए समय की आवश्यकता है। कोई भी कट्टरपंथी संगठन हो उनके खिलाफ सबूत होने पर उन पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। उन्होंने किसी भी हिंदू संगठन के खिलाफ एक भी शब्द नहीं कहा।
जहां तक मुस्लिम राजनीतिक दल का प्रश्न है, आज़ादी के बाद मुसलमानों की कई पार्टियां वजूद में आयीं लेकिन उनका प्रदर्शन नगण्य रहा है। आज़ादी के बाद मुस्लिम लीग का नाम बदल कर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग किया गया। इस पार्टी का उद्देष्य था कि इसे अखिल भारतीय पार्टी के रूप में पहचान मिले लेकिन इसे कभी भी राष्ट्र स्तर पर स्वीकृति नहीं मिली और यह केवल केरल राज्य में ही अस्तित्व में रहा। 1989 में सैयद शहाबुद्दीन ने इसी उद्देश्य से इंसाफ पार्टी बनाने का प्रयास किया। उनका विचार मुसलमानों, अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों, एससी, एसटी और अन्य पिछड़े वर्गों को एक छतरी के नीचे लामबंद करना था। लेकिन यह प्रयास असफल साबित हुआ। यूपी के हालिया विधान सभा चुनाओं (2022 में आल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लेमीन को कुल 0 प्रतिशत वोट मिले। राज्यों में मुअसलमानों की लगभग 10 छोटी बड़ी पार्टियां हैं लेकिन सभी प्रभावविहीन हैं। भारतीय राज्य में मुसलमानों को नन स्टेट एक्टरर्स के रूप में पेश किया जाता है।

RELATED POSTS

ग़ज़ा में लोग चलती-फिरती लाशें बन गए हैं’, पत्रकारों की आपबीती

राहुल क्या हिंदुत्व के समानांतर कांग्रेस की नई विचारधारा खड़ी कर पाएंगे?

महाराष्ट्र भाषा विवादः हिंदुत्ववादी राजनीति का हथियार है हिंदी

ShareTweetSend
RK News

RK News

Related Posts

विचार

ग़ज़ा में लोग चलती-फिरती लाशें बन गए हैं’, पत्रकारों की आपबीती

July 27, 2025
विचार

राहुल क्या हिंदुत्व के समानांतर कांग्रेस की नई विचारधारा खड़ी कर पाएंगे?

July 25, 2025
Uncategorized

महाराष्ट्र भाषा विवादः हिंदुत्ववादी राजनीति का हथियार है हिंदी

July 14, 2025
विचार

फिलीस्तीन पर अवसरवाद  :-मनोज झा

June 30, 2025
विचार

अहमदाबाद: एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो कर, दो टुकड़ों में टूटा,242 यात्रियों में53 ब्रिटिश,

June 12, 2025
विचार

Waqf पर सुनवाई:केंद्र ने कहा- वक्फ अधिनियम के प्रमुख प्रावधान जारी रहेंगे, सुप्रीम कोर्ट  अब 20 मई को मामले की सुनवाई करेगा

May 15, 2025
Next Post

New Income Tax Regime : जानें क्या है नया टैक्स स्लैब, 7 लाख से कम आय पर नहीं लगेगा इनकम टैक्स

Budget 2023:: जानू क्या हुआ सस्ता और महंगा

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recommended Stories

ईश्वर उपस्थित है ! स्पर्श पाने के लिए श्रद्धा चाहिए !   

ईश्वर उपस्थित है ! स्पर्श पाने के लिए श्रद्धा चाहिए !  

October 23, 2022
भारत से मेक्सिको तक पत्रकारों की जासूसी, जानिए क्या है मामला

भारत से मेक्सिको तक पत्रकारों की जासूसी, जानिए क्या है मामला

July 19, 2021
गुजरात चुनाव: गुजरात को कांग्रेस ने किसके हवाले किया?

गुजरात चुनाव: गुजरात को कांग्रेस ने किसके हवाले किया?

October 25, 2022

Popular Stories

  • दिल्ली में 1396 कॉलोनियां हैं अवैध, देखें इनमें आपका इलाका भी तो नहीं शामिल ?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • मेवात के नूह में तनाव, 3 दिन इंटरनेट सेवा बंद, 600 परFIR

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • कौन हैं जामिया मिलिया इस्लामिया के नए चांसलर डॉक्टर सैय्यदना सैफुद्दीन?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • NCERT Recruitment 2023 में नौकरी पाने का जबरदस्त मौका, कल से शुरू होगा आवेदन, जानें तमाम डिटेल

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • पकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में महिला यूट्यूबर ज्योति गिरफ्तार, पूछताछ में किए बड़े खुलासे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • नूपुर को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- बयान के लिए टीवी पर पूरे देश से माफी मांगे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
Roznama Khabrein

The Roznama Khabrein advocates rule of law, human rights, minority rights, national interests, press freedom, and transparency on which the newspaper and newsportal has never compromised and will never compromise whatever the costs.

More... »

Recent Posts

  • सीएए विरोधी प्रदर्शनों में जेल में बंद  शरजील इमाम  का बिहार चुनाव लड़ने का फैसला
  • ग़ज़ा में नरसंहार पर पीएम की ‘शर्मनाक चुप्पी, मानवता के खिलाफ अपमान,अत्याचारों के खिलाफ बोलें: सोनिया
  • असम सरकार ने गोलाघाट में 2,000 से अधिक बंगाली मुस्लिम परिवारों को निशाना बनाकर बड़े पैमाने पर बेदखली अभियान शुरू किया!:report

Categories

  • Uncategorized
  • अन्य
  • एजुकेशन
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • विचार
  • समाचार
  • हेट क्राइम

Quick Links

  • About Us
  • Support Us
  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Grievance
  • Contact Us

© 2021 Roznama Khabrein Hindi

No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو

© 2021 Roznama Khabrein Hindi