इंडियन एक्सप्रेस में तवलीन सिंह ने लिखा है कि कर्नाटक के चुनाव नतीजों में कई संदेश छिपे हैं. बीजेपी नेताओं के अहंकार को जवाब मिला है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि कांग्रेस अगर जीतेगी तो कर्नाटक में दंगे हो जाएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने खिलाफ गालियों का जिक्र किया था. बजरंग दल से बजरंगबली को जोड़ा. यहां तक कह दिया कि सोनिया गांधी कर्नाटक को भारत से अलग करना चाहती हैं. भ्रष्टाचार, कुशासन, महंगाई और बेरोजगारी जैसे असली मुद्दों की पूरी तरह अनदेखी की गयी. ऐसा अहंकार के नशे में किया गया. नतीजा यह हुआ कि बीजेपी इतनी बुरी हारी कि मोदी भक्त भी इन दिनों मौन और मायूस हैं.
तवलीन सिंह लिखती हैं कि एक दौर में कांग्रेस पर भी अहंकार का रोग था. 2017 में सोनिया गांधी ने इंडिया टुडे कॉनक्लेव में कहा था कि वे बीजेपी को दोबारा नहीं आने देंगी. आशंका है कि फिर कहीं कांग्रेस अहंकार की चपेट में ना आ जाए.
कर्नाटक में भ्रष्टाचार इस हद तक था कि सरकारी ठेकेदारों ने टीवी कैमरों के सामने कहा था कि बिना चालीस प्रतिशत कमीशन के कोई काम नहीं होता है. जवाब में अहंकारी बीजेपी नेताओं ने राजीव गांधी के वर्षों पुराने भाषण का हवाला दिया. जब ये चालें नहीं चलीं तो टीपू सुल्तान को मुद्दा बनाया. नतीजा यह हुआ कि तकरीबन सारा मुस्लिम वोट कांग्रेस को मिला. दलित और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं के भी वोट कांग्रेस को मिले.
गैस सिलेंडर भी मुद्दा बनी. 2014 के बाद कांग्रेस की यह सबसे बड़ी जीत है. हालांकि जीत के बाद मुख्यमंत्री के मुद्दे पर कांग्रेस के नेता ऐसे झगड़े कि लगा अपनी ही थाली में छेद कर लेंगे. ऐसा लगता है कि कांग्रेस में अहंकार का रोग कम हुआ है. अब यही रोग बीजेपी को लग गया है