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बीजेपी ने नीतीश कुमार को कहीं का नहीं छोड़ा

जानकार अब मानने लगे हैं कि नीतीश कुमार अपनी कुर्सी बचाने और उससे चिपके रहने के लिए राजनीति कर रहे हैं. वो शायद चाहते होंगे कि उनका नाम बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड उनके नाम रहे .

RK News by RK News
July 12, 2021
Reading Time: 1 min read
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बीजेपी ने नीतीश कुमार को कहीं का नहीं छोड़ा

मनोरंजन भारती

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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया. तमाम कयास लगाए जा रहे थे कि कौन-कौन मंत्री बनेगा और कौन जाएगा, हालांकि किसी को नहीं पता था कि कोरोना के दूसरे फेज से ठीक से ना निबट पाने का ठीकरा दोनों स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन पर पड़ेगा. दोनों की छुट्टी हो गई. उसी तरह किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि अभी-अभी लोक जनशक्ति पार्टी तोड़ने वाले पशुपति नाथ पारस को भी मंत्री बनाया जाएगा, हालांकि कुर्त्ते का नया कपड़ा खरीदते वक्त उन्होंने इशारा कर दिया था कि उनको अमित शाह का फोन आ गया है और वे मंत्री बनने वाले हैं, लेकिन सबसे अधिक आश्चर्य इस बात को लेकर हो रहा है कि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के कोटे से केवल एक मंत्री बनाया जा रहा है, वो भी नीतीश कुमार के स्वजातीय कुर्मी जाति से आने वाले आरसीपी सिंह को. कहां जदयू अभी तक चार मंत्री पद से कम लेने पर तैयार नहीं थी. हर बार यही हुआ कि जदयू के जितने सांसद हैं, उसके अनुसार उन्हें चार मंत्री पद मिलने ही थे.
नीतीश कुमार के पास चारा भी नहीं है कि वो इसे अस्वीकार कर दें. इससे बिहार में सत्ता का गणित बदल जाएगा. बीजेपी ने पहले ही बीजेपी नेता सुशील मोदी जो कि नीतीश कुमार के काफी करीबी थे उनको बिहार की राजनीति से निकालकर यह संकेत दे दिए हैं कि नीतीश कुमार को नई बीजेपी के साथ रहना होगा. ये बात और है कि तमाम अटकलों के बीच सुशील मोदी को मंत्री नहीं बनाया गया. लोग कहने लगे हैं कि एक मंत्रिमंडल में एक ही मोदी रहेगा.

बहरहाल सवाल ये उठता है कि अब नीतीश कुमार क्या करेगें या फिर कुछ करने की हालत में हैं भी या नहीं. आखिर बीजेपी ने नीतीश कुमार के साथ ऐसा क्यों किया. इसका सबसे सरल जवाब ये है कि बिहार विधानसभा में बीजेपी के पास 74 विधायक हैं और जदयू के पास 43 यानी बीजेपी के पास 31 विधायक अधिक हैं. इसके बावजूद बीजेपी ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया हुआ है तो साफ है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में बीजेपी जो चाहेगी वही होगा. यही वजह है कि जदयू को केवल एक मंत्री पद दिया गया. अब सबकी निगाहें नीतीश कुमार पर हैं कि उनका अगला कदम क्या होगा क्योंकि वो अब वहीं पहुंच गए हैं, जहां से उन्होंने शुरुआत की थी. लव-कुश यानी कोइरी-कुर्मी जाति की राजनीति. खुद मुख्यमंत्री हैं तो उनके स्वजातीय और सबसे करीबी आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री होंगे तो बिहार में प्रदेश अध्यक्ष कोइरी जाति के उमेश कुशवाहा हैं. अब बाकी जाति के नेता पूछेंगे कि उनकी नीतीश कुमार की राजनीति में कोई जगह है या नहीं.

जानकार अब मानने लगे हैं कि नीतीश कुमार अपनी कुर्सी बचाने और उससे चिपके रहने के लिए राजनीति कर रहे हैं. वो शायद चाहते होंगे कि उनका नाम बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड उनके नाम रहे . वैसे नीतीश कुमार के लिए एक और सिरदर्द शुरू हो गया है. उनकी कैबिनेट से एक मंत्री ने सरकार में नौकरशाही के हावी होने के कारण अपना इस्तीफा दे दिया है.यही नहीं हम पार्टी जिनके चार विधायक हैं, लगातार नीतीश सरकार पर शराब बंदी को लेकर हमले बोलते रहते हैं, क्योंकि इस कानून की वजह से सबसे अधिक लोग जो जेल में बंद हैं उनमें से अनुसुचित जातिजनजाति से ही आते हैं.

वहीं एक और नीतीश कुमार के सहयोगी वीआईपी के मुकेश साहनी गाहे-बगाहे 19 लाख सरकारी नौकरी देने का वायदा नीतीश कुमार को याद दिलाते रहते हैं. जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी की लगातार होती मुलाकातें भी नीतीश कुमार के लिए सिरदर्द से कम नहीं है. ये दोनों कब पाला बदल लें कहा नहीं जा सकता. ऐस में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जितना चाहते थे उतना ना मिलना बिहार में नीतीश कुमार के कद को ही छोटा करेगा. ये बिहार में आने वाले दिनों में बदलती राजनीति की ओर भी संकेत करता है क्योंकि चिराग पासवान बिहार की सड़कों पर उतर चुके हैं यानी आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति काफी दिलचस्प होने वाली है.

(साभार एनडीटीवी इंडिया)

Tags: Nitish Kumarनीतीश कुमार
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