नई दिल्ली: देश में मौजूदा समय में सबसे बड़ा संकट क्या है? इस सवाल का जवाब में नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा कि इस समय देश के सामने सबसे बड़ा संकट ‘राष्ट्र के पतन’ का है.
अमर्त्य ने कहा कि वह देश में असाधारण विभाजन देख रहे हैं, उन्होंने हालिया गिरफ़्तारियों के तौर-तरीक़ों पर सवाल उठाए, इसके साथ ही नफ़रत के माहौल और उदयपुर कांड को लेकर चिंता जताई.
सत्य हिंदी के अनुसार सेन ने कहा कि जिस चीज ने उन्हें सबसे ज़्यादा डरा दिया, वह यह है कि देश में अभी उन्होंने विभाजन देखा है, उन्होंने कहा कि यह भी असाधारण है कि औपनिवेशिक कानूनों का इस्तेमाल लोगों को सलाखों के पीछे डालने के लिए किया जा रहा है.
हालाँकि इसके साथ उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन समझा जाता है कि एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ़्तारी के मामले में उनकी यह प्रतिक्रिया आई हैय
सेन ने कहा कि इन सबका मुक़ाबला करने के लिए केवल सहनशीलता पर्याप्त नहीं होगी, अमर्त्य ने कहा कि भारत में सहिष्णु होने की एक अंतर्निहित संस्कृति है, लेकिन समय की मांग है कि हिंदुओं और मुसलमानों को एक साथ काम करना चाहिए.
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार सेन ने कहा कि भारत केवल हिंदू संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाला देश नहीं है, बल्कि मुसलिम संस्कृति भी देश के जीवंत इतिहास का हिस्सा थी.
उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि एक समूह के रूप में हिंदू ताजमहल का श्रेय लेने में सक्षम हो सकते हैं, शाहजहाँ के सबसे बड़े बेटे दारा शिकोह ने 50 उपनिषदों का मूल संस्कृत से फारसी में अनुवाद किया.
इससे दुनिया को हिंदू धर्मग्रंथों, हिंदू संस्कृति और हिंदू परंपराओं के बारे में जानने में मदद मिली, रविशंकर और अली अकबर खान के राग और संगीत भी जादू पैदा करने में विभिन्न धर्मों के लोगों के सहयोग के प्रमाण हैं.