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व्यर्थ के प्रलाप व झूठ से हिंदुओं को डराना! एक नजरिया

RK News by RK News
May 23, 2023
Reading Time: 1 min read
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विनीत नारायण. (यह लेखक के निजी विचार हैं).
लोकसभा। का 2024 का चुनाव सामने है। आरएसएस व भाजपा हिंदुत्व के एजेंडा पर ज़ोर-शोर से काम कर रही है। पहले ‘तशकान्त फ़ाइल्स’ फिर ‘कश्मीर फ़ाइल्स’ और अब ‘द केरल स्टोरी’ जैसी फ़िल्में योजनाबद्ध तरीक़े से जारी की जा रही हैं। प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्रियों तक ने इन फ़िल्मों को प्रचारित करने का जिम्मा ले लिया है। इन फ़िल्मों पर मनोरंजन कर से मुक्ति व प्रायोजित शो करवाकर दर्शकों को ये फ़िल्में दिखलाई जा रही है। जिसका एकमात्र लक्ष्य वोटों का ध्रुवीकरण करना है। आम भावुक दर्शक इन फ़िल्मों की पटकथा से निश्चित रूप से प्रभावित हो रहे हैं। ऐसी अभी कई फ़िल्में 2024 तक और जारी होंगी। इसके साथ ही नया संसद भवन और अयोध्या में श्री राम मंदिर बन कर तैयार होगा, जिसे बहुत आक्रामक मार्केटिंग नीति के तहत पूरी तरह भुनाया जाएगा
जो फ़िल्में आजकल बनवाई जा रही हैं वे एकतरफ़ा हैं, भड़काऊ हैं और अपने वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिये राजनैतिक उद्देश्य से बनवायी गयी हैं। इनमें विषय संबंधी सभी तथ्यों को नहीं दिखाया जाता। जैसे कश्मीर फ़ाइल्स में ये नहीं दिखाया गया कि कश्मीर के आतंकवादियों ने आजतक कितने मुसलमानों की भी उसी तरह हत्याएँ कीं हैं और आज भी कर रहे हैं।
भाजपा की आई टी सेल 13 तारीख़ से हिंदुओं को कांग्रेस सरकार से डराने में जुट गयी है। ऐसी पोस्ट आ रही हैं, “कर्नाटक में कांग्रेस के जीतने पर हिंदुओं के उपर हमले भी शुरू हो गए। क्योंकि जिहादियों को पता है अब इनकी सरकार है इसलिए अब इन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी ।
फ्री के चक्कर में हिन्दुओं ने जिहादियों की सरकार को जिता दिया। अब आने वाले पूरे 5 वर्षों तक हिन्दूओं के साथ यही सब होने वाला है; पलायन, लव जिहाद, भू जिहाद, धर्मान्तरण, जैसी गंभीर समस्याओं से हिन्दुओं को सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस को जिता कर हिन्दुओं ने अपनी आज़ादी, शांति के अवसर खो दिया। अब भुगतो हिंदुओ”। भाजपा की आईटी सेल का ये एजेंडा बहुत ज़्यादा बढ़ा-चढ़ा कर प्रचारित किया जा रहा है। पर ऐसा नहीं है कि इन आरोपों में तथ्य नहीं हैं। चुनाव जीतने के लिए सांप्रदायिक या जातिगत तुष्टिकरण करने में कोई राजनैतिक दल पीछे नहीं रहता। भाजपा भी नहीं, और उसी का परिणाम है कि चुनाव जीतने के बाद सत्तारूढ़ दल को अनेक विवादास्पद मामलों में या तो अपने आँख और कान बंद करने पड़ते हैं या समझौते करने पड़ते हैं। जिसका भरपूर प्रचार करके विरोधी दल फ़ायदा उठाते हैं।
अनेक घटनाओं व कारणों से भाजपा व संघ की क्षमता के बारे में संदेह पैदा कर दिये हैं। ये दोनों संगठन आजतक इस बात को परिभाषित नहीं कर पाए कि हिंदू राष्ट्र से इनका आश्रय क्या है? ये कैसा हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं? जिस सनातन संस्कृति का हम सब हिंदू दंभ भरते हैं उसके किसी भी सिद्धांत, शास्त्र, परंपराओं व आस्थाओं से संघ और भाजपा का दूर-दूर तक नाता नहीं है।
वैदिक शास्त्रों की उपेक्षा, प्राण प्रतिष्ठित देव विग्रहों व देवालयों पर बुलडोज़र चलाना, गौ मांस के व्यापार को प्रोत्साहित करना, सनातन धर्म के मूलाधार – चारों शंक्राचार्यों की उपेक्षा करना, वेतन दे कर संन्यासी बनाना, करोड़ों रुपये के चढ़ावे वाले मंदिरों पर अपने ट्रस्ट बना कर क़ब्ज़े करना और पारंपरिक सेवायतों को बेदख़ल करना, सनातन धर्म और तीर्थों की निष्ठा से सेवा करने वालों को अपमानित और हतोत्साहित करना क्या उचित है? इन सब धर्म-विरोधी कृत्यों को करने वाले क्या तालिबानियों से भिन्न आचरण कर रहे हैं? फिर हम जैसे आम सनातन धर्मियों से ये अपेक्षा क्यों की जाती है कि हम किसी दल या संगठन की राजनैतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए अपने आँख-कान बंद करके भेड़ों की तरह पीछे-पीछे चलें?
सनातन धर्म को लेकर जो प्रश्न यहाँ उठाए हैं उनका तो उत्तर मिलना चाहिए।

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